शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

ਦੁਖ ਵਿਛੜੇ ਨਨਕਾਣੇ ਦਾ .....(लेखिका : दर्शन कौन धनोए )


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पाकिस्तानी प्रसासन ने गुरुनानक देव जी के जन्म स्थान ननकाना साहिब मे भारत-पाकिस्तान और युरोपियन देशो के धार्मिक जत्थों को जुलुस निकलने की अनुमति नही दी --इस निर्णय से सारी सिक्ख कोम सकते में आ गई --अपने गुरु का जन्म दिन मनाना उसके जन्म स्थान पर ,भव्य जुलुस निकलना ,उसमे शरीक होना हर सिक्ख का एक सपना होता है --पर पाकिस्तानी प्रशासन के इस अड़ियल रवये से पाकिस्तानी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेंटी मायुश हुई |

प्रशासन का कहना था की ' जेहादी तालिबानी हमले की आशंका के डर से हम ऐसा कर रहे हे --क्योकि कट्टरपंथी तालिबानी जेहादी पिछले कुछ वर्षो से पाकिस्तानी सिक्ख बिरादरी को अपना निशाना बना रहे हे --कई सूबे जहाँ सिक्ख परिवार बरसो से आबाद थे --उनके हमलो से इधर -उधर शरण ले चुके है |
'
यह एक ऐतिहासिक त्रासदी हे की 1947 के पहले ,जिस क्षेत्र मे सिक्खों की एक बड़ी संखिया बरसो से आबाद थी वहां आज गिनती के परिवार रह गए हे | सबसे बड़ी बात तो यह हे की जिस मुकाम पर धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्महुआ (ननकाना साहेब}आज वहां उनकी याद में एक जुलुस भी नही निकाल सकते --उनका जन्म दिन नही मना सकते ? कितनी त्रासदी हे सिक्ख समाज के लिए |

किसी जमाने मे सिक्ख सम्प्रदाय के महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल (१८०१-१८३९) में सिक्ख साम्राजय पंजाब के अलावा सिंध, बलोचिस्तान ,जम्मू -कश्मीर ,पश्तून-सूबा सरहद तक फैला था | उन्होंने लाहोर को अपनी राजधानी बनाया और शासन किया था --उसी दोरान सिक्ख बिरादरी ने अपना कारोबार इन इलाको में फैलाया और वहीँ बस गए | अगर,रणजीतसिंह दिल्ली और अवध की ओर बड़ते , तो शायद हिंदुस्तानि सियासत की तस्वीर कुछ और ही होती |


1947 के बंटवारे में यह सिक्ख बहुल क्षेत्र विभाजित हो गया और हिन्दुस्तान का यह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया | विभाजन के वक्त इंसानियत का जो खून बहा वो सबको पता हे --जिसमे ज्यादातर लाशे सिक्खों की थी ?


आज बहुत थोड़े से सिक्ख-परिवार ही पाकिस्तान में रह गए हे , उन्होंने अपने ,गुरुद्वारों की सुरक्षा और देख भाल के लिए " पाकिस्तान सिक्ख गुरुद्वारा कमेटी " बनाई हे और पाक सरकार ने भी उदारता का परिचय देकर इसको मंजूरी दे दी हे | इसके चलते आज सिक्ख बिरादरी ने पाकिस्तान में अपना एक खास मुकाम बनाना शुरू कर दिया हे --

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार सरदार हरचरण सिंह फोज में और ट्रेफिक इंस्पेक्टर सरदार कल्याण सिंह प्रशासन में आए हे | यदि होसला बुलंद हो ,लगन हो तो कोंन आगे बढ़ने से रोक सकता हे ?
एक गायक ने इसे यु पेश किया हे -------
'रब्बा दिल पंजाब दा पाकिस्तान ते रह गया ऐ---
दीया न पूरा होना ऐसा घाटा पे गया ऐ |
नई भूलन दुःख संगता नु बिछड़े ननकाना दा |



लेखिका : दर्शन कौर धनोए



5 टिप्‍पणियां:

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ਰੱਬਾ ਦਿਨ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਚ ਰਹਿ ਗਿਆ ਏ
ਕਦੇ ਨ ਪੂਰਾ ਹੋਣਾ ਐਸਾ ਘਟਾ ਪੈ ਗਿਆ ਏ .....

ਮਨਦੀਪ ਜੀ ਦਾ ਗਾ ਇਹ ਗੀਤ
ਦਿਲ ਚੀਰਦਾ ਹੈ .....
ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਿਬ ਜੋ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਚ ਰਹਿ ਗਿਆ ਸਿਖਾਂ ਦੀ
ਸਬਤੋਂ ਵੱਡੀ ਛਤੀ ਹੈ ....!!

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

@सचमुच ननकाना साहिब पाकिस्तान में जाने से हमारी बिरादरी को कितना नुकसान हुआ हे हरकीरत जी कह नही सकती --हम अपनी मर्जी नाल जा भी नही सकते--दुसरे देश का मुंह देखना पड़ता हे --कितनी हसरत हे वहां जाने की --पर सरहद की पाबन्दिया हमे रोक देती हे --न जाने कब वाहेगुरु मेहरबान होगा ?

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

geet tan sohna hai hi par tusin jo khanda bnaya hai oh uston vi vadh sohna hai .
rhi nankana sahib de vichhode di gall tan sachmuch ih sikh kaum nal hoi jyadti hai .

-----dilbag-virk.blogspot.com

बेनामी ने कहा…

ਰੱਬਾ ਦਿਲ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਪਾਕਿਸਤਾਨ 'ਚ ਰਹਿ ਗਿਆ ਏ
ਕਦੇ ਨਾ ਪੂਰਾ ਹੋਣਾ ਐਸਾ ਘਾਟਾ ਪੈ ਗਿਆ ਏ....
ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਗੀਤ....
ਪੋਸਟ ਦੀ ਤਾਰੀਫ਼ ਕਰਨੀ ਬਣਦੀ ਹੈ, ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਉਪਰਾਲਾ ਹੈ !
ਦਰਸ਼ਨ ਕੌਰ ਜੀ ਤੇ ਹਰਕੀਰਤ ਜੀ ਵਧਾਈ ਦੇ ਹੱਕਦਾਰ ਨੇ।

ਹਰਦੀਪ ਕੌਰ ਸੰਧੂ
( ਪੰਜਾਬੀ ਵਿਹੜਾ)

Daisy ने कहा…

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